रोजगार: विदेश से MBA कर पहाड़ लौटे दो युवक, पहाड़ में ही खोला मॉल..51 लोगों को रोजगार

हर युवा चहता है कि, वह जिस गाँव में जन्म लेता है उसे इस मुकाम तक पहुंचए की सारी दुनिया उस के गाँव को पहचाने। उसे रोजगार और शिक्षा के लिए गांव से बाहर न जाना पड़े वह अपने ही गांव में रहकर उच्च शिक्षा और रोजगार प्राप्त कर सकें। ऐसी ही एक मिसाल उत्तराखंड के गांव में देखने को मिली है जहां दो नवयुवकों ने अपने ही गांव में रोजगार के नए साधन उपलब्ध कराएं ताकि उसके गांव के लोगों को रोजगार के लिए बाहर न जाना पड़े वह अपने ही गांव में रहकर रोजगार प्राप्त कर सके और अपने परिवार का निर्वहन कर सकेंइस कोरोनावायरस में जहां अपनों ने अपनों का साथ छोड़ दिया है पैसों की किल्लत है परिवार को चलाना भी मुश्किल है और रोजगार भी जा रहे हैं ऐसे में कोरोना संकट, लेकिन ये संकट भी इन दोनों युवाओं को पहाड़ के लिए कुछ बेहतर करने से रोक ना सका।

शानदार मॉल खोल


आज इन्होंने मिलकर पहाड़ी जिले उत्तरकाशी में एक शानदार मॉल खोला है। जो कि जिले का पहला मॉल है, इसके जरिए क्षेत्र के कई लोगों को रोजगार मिला है। जिन युवाओं की हम बात कर रहे हैं उनका नाम है चिंटू मटूड़ा और दीपक मटूड़ा। ये दोनों युवा व्यवसायी एमबीए डिग्री होल्डर हैं। दोनों ने ऑस्ट्रेलिया से एमबीए की पढ़ाई की। चिंटू और दीपक चाहते तो ऑस्ट्रेलिया में रहकर ही बढ़िया सैलरी वाली जॉब कर सकते थे, लेकिन इन्होंने कुछ हटकर किया। दोनों विदेश में बेहतर रोजगार का विकल्प छोड़ अपने गांव लौट आए। यहां आकर सोचा कि क्यों ना जिले के बेरोजगारों के लिए कुछ किया जाए। इसी विचार ने दोनों को उत्तरकाशी में मॉल खोलने का आइडिया दिया।

रोजगार के नए अवसर दिए।

दोनों ने इस दिशा में मिलकर प्रयास किए। किसी तरह पूंजी जुटाई और इस तरह आखिरकार उत्तरकाशी जिले को उसका पहला मॉल मिला। बीते दिन उत्तरकाशी के डीएम मयूर दीक्षित ने मॉल का विधिवत उद्घाटन किया। इस मौके पर डीएम ने कहा कि इस तरह के प्रयास पहाड़ की आर्थिकी के लिहाज से बेहद फायदेमंद हैं। इससे कोरोना काल में घर लौट आए बेरोजगारों को रोजगार मिलेगा। चलिए अब आपको मॉल के बारे में बताते हैं। फिलहाल मॉल में रेडीमेड गारमेंट्स उपलब्ध हैं। जल्द ही यहां शूज, ज्वैलरी और दूसरे आइटम्स भी बिक्री के लिए उपलब्ध होंगे। मॉल के जरिए क्षेत्र के 51 बेरोजगार युवाओं को रोजगार दिया गया है। रोजगार पाने वालों में 15 युवतियां भी शामिल हैं। चिंटू मटूड़ा और दीपक मटूड़ा ने पहाड़ के लिए जो किया वो करने के लिए इच्छा के साथ हिम्मत भी चाहिए। इन दोनों युवाओं के प्रयास की पूरे क्षेत्र में तारीफ हो रही है।

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