उत्तराखंड के कद्दावर नेता के रूप पहचान बनाने वाली आयरन लेडी इंदिरा हृदेयश इस दुनिया को अलविदा कह गई है। उनके निधन की खबर से उत्तराखंड में शोक की लहर है तो वहीं हर बड़ा नेता भी उन्हे श्रद्धांजली अर्पित कर रहा है।
बता दें कि मिशन 2022 के चलते इंदिरा दिल्ली में बैठक के लिए गई थी। इसी दौरान दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। जैसे ही उनके निधन की खबर सामने आई उनके प्रशंसकों में शोक की लहर दौड़ पड़ी। इंदिरा ने राजनीति में अपनी अलग ही छाप छोड़ी थी। दूसरे दल के नेता भी उनसे राय मांगने आते थे। उत्तराखंड में जब राष्ट्रपति शासन लगा था उस वक्त हरीश रावत के साथ जो लोहे की दिवार बन खड़ी थी वो नेता इंदिरा हृदेयश ही थी।
कई मौके ऐसे आए जब राजनीतिक तौर पर हरीश रावत और इंदिरा हृदयेश के बीच मतभेद दिखे, लेकिन संकट के समय हृदयेश ने रावत का साथ नहीं छोड़ा। 2016 में जब उत्तराखंड कांग्रेस में बगावत हो गई थी और पूर्व सीएम विजय बहुगुणा, हरक सिंह रावत, सुबोध उनियाल समेत 10 विधायक बीजेपी में शामिल हो गए थे । राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू था उस वक्त इंदिरा ने हरदा के कांधे से कांधा मिलाते हुए अपनी सरकार फिर बना ली थी।
इनका जन्म अयोध्या में हुआ था। उम्र के इस पड़ाव में 80 वर्षीय इंदिरा पिछले कुछ समय से लगातार बीमार चल रही थीं। कुछ दिनों पहले दिल्ली से इलाज कराकर लौटीं थी। उन्होंने कोविड को भी हराया था। पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा और नारायण दत्त तिवारी के दौर में राजनीति को जीने वाली स्वर्गीय हृदयेश का कद ऐसा था कि क्या कांग्रेस, क्या भाजपा, दीदी के पास सभी सलाह-मशविरा करने आते थे। वह दीदी के नाम से मशहूर थी।