सुहागिनों ने पिरोया तिलों का तेल भगवान बद्रीनाथ के लिए , जानिए ये अनूठी परंपरा

कोविड मामलों में जबरदस्त उछाल के चलते चारधाम यात्रा स्थगित कर दी गई है। नियत तिथि पर धाम में केवल पुजारी ही पूजा-पाठ करेंगे, बाकी लोगों के लिए यात्रा बंद रहेगी। यात्रा भले ही स्थगित कर दी गई है, लेकिन यात्रा से जुड़ी हजारों साल पुरानी परंपराएं पहले की तरह ही निभाई जा रही हैं। इसी कड़ी में टिहरी गढ़वाल में भगवान बदरी विशाल के अभिषेक के लिए सुहागिन महिलाओं ने व्रत रखकर गुरुवार को तिलों का तेल पिरोया। नरेंद्रनगर राजमहल में महारानी राज्य लक्ष्मी शाह की अगुवाई में सुहागिन महिलाओं ने पीला वस्त्र धारण कर तिलों का तेल पिरोया। इस मौके पर नरेंद्रनगर स्थित राजमहल को भव्य रूप से सजाया गया था। राजपुरोहित संपूर्णानंद जोशी तथा पंडित आचार्य कृष्ण प्रसाद उनियाल ने विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की। जिसके बाद तिलों का तेल पिरोने की धार्मिक परंपरा का शुभारंभ हुआ। महाभिषेक के लिए तेल पिरोने की शुरुआत महारानी राज्य लक्ष्मी शाह ने की।

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राज दरबार में तिलों का तेल पिरोने के बाद तेल को एक खास बर्तन में विशेष जड़ी-बूटी डालकर आंच में पकाया गया, ताकि तेल में पानी की मात्रा न रहे। बाद में विशुद्ध तेल को चांदी के गाडू घड़ा तेल कलश में पूजा-अर्चना और मंत्रोच्चार के साथ भरा गया। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ध्यान रखा गया। गाडू घड़ा तेल कलश डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत प्रतिनिधियों को सौंपा गया है, जो कि तेल कलश यात्रा के साथ 17 मई को बदरीनाथ धाम पहुंचेंगे। बता दें कि तेल पिरोने और बदरीनाथ धाम के कपाट खोलने की तिथि बीते 16 फरवरी को नरेंद्रनगर स्थित राज दरबार में महाराजा मनुजेंद्र शाह की कुंडली और ग्रह नक्षत्रों की गणना करके तीर्थ पुरोहित संपूर्णानंद जोशी और आचार्य कृष्ण प्रसाद उनियाल द्वारा निकाली गई थी। 18 मई को ब्रह्म मुहूर्त में सुबह 4:15 बजे भगवान बदरी विशाल धाम के कपाट दर्शन के लिए खोले जाएंगे। हालांकि तीर्थयात्रियों को बदरीनाथ धाम के दर्शनों की अनुमति नहीं है। कपाट खोलने के बाद केवल मंदिर के पुजारी को ही मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी जाएगी।

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